कंप्यूटर
कंप्यूटर इस पृथ्वी पर कल्पवृक्ष की भाँति उतपन्य हुआ है। इसने मानव की बहुकलपिए इच्छाओं की पूर्ति की है। इसने अंधों को आँख, बहरों को कान और लंगड़ों को चलने की क्षमता प्रदान की है। आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कंप्यूटर का इतना हस्तक्षेप हो गया है कि आधुनिक युग कंप्यूटर का युग कहा जाने लगा है। इसकी लीलाएँ देखकर स्वत: ही दाँतों तले उँगली दब जाती है। कभी-कभी तो इसके कार्यों को अपनी आँखों से देखकर भी विश्वास नहीं होता। इसकी सहायता से मानव अंतरिक्ष में घूम आया है। चंद्रमा का मस्तक चूमने में सफल हुआ है। पृथ्वी की परिक्रमा कर पाया है। इतना ही नहीं विभिन्न ग्रहों की जानकारी पलक झपकते ही प्राप्त कर लेता है। वास्तव में जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जहाँ इसका महत्व दिखाई नहीं देता है।
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसका अभूतपूर्व योगदान है। इसके कारण सूचना के क्षेत्र में अद्भुत क्रांति आ गई है। इसकी अद्भुत देन इंटरनेट है। इंटरनेट के द्वारा आप अपने घर में बैठकर स्थानीय कॉल पर अमरीका या और किसी अन्य देश में बात कर सकते हैं। दुनियाभर की जानकारी आप मिनटों में प्राप्त कर सकते हैं। इसके कारण दुनिया मुट्ठी में सिमट गई है। संसार का वैश्वीकरण हो गया है। आज यह वैज्ञानिक यंत्र न रहकर मानव मस्तिष्क बन गया है।
सुपर कंप्यूटर ने तो गणना के क्षेत्र में कल्पनातीत उन्नति की है। परमाणु तकनीकी की अपेक्षा सुपर कंप्यूटर का महत्त्व अधिक है। सुपर कंप्यूटर ‘परम-1000’ एक सेकेंड में एक खरब गणितीय गणनाऐं कर सकता है। यह मौसम का पूर्वानुमान लगा लेता है। प्राकृतिक गैस तथा खनिज पदार्थों के भंडारों का पता लगाने में यह अनोखा मददगार होता है। दूर संवेदी आंकलन करने में तो इसके कहने ही क्या? यह समय-समय पर भौगोलिक सूचनाओं से संबंधित जानकारी देता है। इसके साथ-साथ सामरिक (रक्षा और परमाणु) क्षेत्र में भी हमने लंबी छलांग लगा ली है। कंप्यूटर के निर्माण से हम जीवन के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो गये हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में कंप्यूटर अब अनिवार्य सा हो गया है। इसने विद्यार्थियों को भारी बस्ते से मुक्ति दिला दी है। आज विद्यार्थी अपनी पूरी शिक्षा कंप्यूटर के माध्यम से कर सकते हैं। यदि आपके पास कंप्यूटर घर में ही है तो आपको विद्यालय जाने की आवश्यकता ही नहीं है। जिस विषय की पढ़ाई करनी हो, उस विषय की वेबसाइट पर चले जाइये। विद्यालय की भाँति उसमें भी अध्यापक आपके प्रश्नों का समुचित उत्तर देंगे। बाजार में सभी विषयों की नोट्स और pdf मिलती हैं। अत: विद्यार्थियों के लिए अब शिक्षा प्राप्त करना आसान ही नहीं बल्कि सस्ता भी हो गया है। इसके द्वारा विद्यार्थी विभिन्न प्रयोग करते हैं। इसी के द्वारा विद्याथियों और अन्य परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिका जाँची जाने लगी हैं। इससे जाँच प्रक्रिया भी पूर्णतः सही होती है।
चिकित्सा के क्षेत्र में कंप्यूटर चिकित्सक का कार्य करने लगा है। इसके द्वारा बीमारियों का पता लगाया जाता है। शरीर के विभिन्न अंगों की जाँच की जाती है। बीमारियों के इलाज के लिए दवाइयाँ बताने का कार्य भी कंप्यूटर करता है। इस क्षेत्र में कंप्यूटर ने एक अनोखी पद्धति का भी आविष्कार किया है जिसका नाम ‘मैडिकल ट्रांसकृष्शन’ है। प्रायः विकसित देशों के डॉक्टरों के पास समय का अभाव होता है। वे दवाइयों के पर्चे बनाकर नहीं दे सकते। वे निर्धारित दवाइयों को केवल मुंह से बोल देते हैं। इन बोलों को निर्धारित मैडिकल की भाषा में अनुवांछित कर मरीज को दे दिए जाते हैं। कुछ समय पहले ही कंप्यूटर ने ‘जीनोय पद्धति’ को भी विकसित किया है जिसमें पैदा होते ही भविष्य में होने वाली बीमारियों का पता लगाया जा सकता है।
बीमारी का पता चलने के बाद शीघ्रतिशीघ्र उसका उपचार भी किया जा सकता है। यह कहना अनुचित न होगा कि कंप्यूटर ने मानव की औसत आयु को भी बढ़ा दिया है। कंप्यूटर ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में क्रांति ला दी है। रेलगाड़ियों और हवाई जहाजों का आरक्षण इसके द्वारा ही होता है। वायुयान का संचालन भी यह एक चालक की भाँति करता है। चालक को केवल बटन दबाने को आवस्यकता होती है। गति और दिशा का निर्धारण भी यही करता है। मुद्रण के क्षेत्र में इसका योगदान असीमित है। पुस्तकों, समाचार-पत्रों की छपाई का काम इसी के द्वारा होता है। यह कार्य को सुचारू रूप से ही नहीं करता बल्कि शीघ्र भी करता है। रेडियो, टेलीविजन के कार्यक्रमों के प्रसारण में भी यह महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
अंत में मैं यह कहना चाहूँगा कि कंप्यूटर का उपयोग-प्रयोग वैज्ञानिक और व्यापारिक प्रक्रियाओं में कितना ही क्यों न बढ़ गाए, किंतु वह मानव-मस्तिष्क का स्थान नहीं ले पायेगा। कंप्यूटर केवल वे ही परिणाम और सूचनाएँ दे सकेगा जिनका आंकड़ा ध्यानपूर्वक उसमें भरा जाएगा। थोड़ा सा भी ध्यान चूकने से यह परिणाम विपरीत भी देने लगेगा। मानव-मस्तिष्क में चेतना, ज्ञान, कण्ठा और कर्म की जो शृंखला है उसे पाना कंप्यूटर के वश की बात नहीं है? कंप्यूटर मानव-मस्तिष्क की तरह अनुभूति-जन्य काव्य की सुष्टि नहीं कर सकता, सौंदर्य को संपादित नहीं कर सकता। फिर भी मनुष्य के जीवन को अधिकाधिक सुविधापूर्ण बनाने मे कंप्युटर का अहम योगदान है ।